354 IPC in Hindi, Section 354 IPC in Hindi
Dhara 354 – Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty
स् तर्ी की लज् जा भग करन ं े के आशय स उस पर हमला या आपरािधक बल का पर्योग े —जो कोई िकसी स् तर्ी की लज् जा भंग करने के आशय से या यह सम् भाव् य जानते हुए िक तद᳇ारा वह उसकी लज् ् जा भंग करेगा, उस स् तर्ी पर हमला करेगा या आपरािधक बल का पर्योग करेगा, 1[वह दोनᲂ मᱶ स िकसी भा े ंित के कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् से कम की नहᱭ होगी िकन् तु जो पांच वषर् तक की हो सकेगी, दिडत िकया जाएगा और ज ं ुमार्ने से भी दडनीय होगा । ं ]
Dhara 354क
लिगक उत् ᱹ पीड़न और लिगक उत् ᱹ पीड़न के िलए दंड—(1) ऐसा कोई िनम् निलिखत कायर्, अथार्त्:— (i) शारीिरक संस् पशर् और अगर्िकर्याएं करने, िजनमᱶअवांछनीय और लᱹिगक संबंध बनानेसंबंधी स्पष् ट पर्स्ताव अंतवर्िलत हᲂ ; या (ii) लᱹिगक स्वीकृित केिलए कोई मांग या अनरोध ु करने ; या (iii) िकसी स् तर्ी की इच्छा केिवरु अश् लील सािहत्य िदखाने ; या (iv) लᱹिगक आभासी िटप्पिणयांकरने, वाला पुरुष लᱹिगक उत्पीड़न केअपराध का दोषी होगा । (2) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) केखंड (i) या खंड (ii) या खंड (iii) मᱶिविनिदष् ट अपराध करेगा, वह कठोर कारावास से, िजसकी अविध तीन वषर्तक की हो सकेगी, या जुमार्नेसे, या दोनᲂ से, दंिडत िकया जाएगा । (3) ऐसा कोई पुरुष, जो उपधारा (1) केखंड (iv) मᱶिविनिदष् ट अपराध करेगा, वह दोनᲂ मᱶसेिकसी भांित केकारावास से, िजसकी अविध एक वषर्तक की हो सकेगी, या जुमार्नेसे, या दोनᲂ से, दंिडत िकया जाएगा ।
Dhara 354ख
िववस् तर् करने के आशय से स् तर्ी पर हमला या आपरािधक बल का पर्योग—ऐसा कोई पुरुष, जो िकसी स् तर्ी को िववस् तर् करनेया िनवर्स् तर् होनेकेिलए बाध्य करनेकेआशय सेउस पर हमला करेगा या उसकेपर्ित आपरािधक बल का पर्योग करेगा या ऐसेकृत्य का दुष् पर्ेरण करेगा, वह दोनᲂ मᱶसेिकसी भांित केकारावास से, िजसकी अविध तीन वषर्सेकम की नहᱭ होगी िकतुजो सात वषर्तक की हो सकेगी, दंिडत िकया जाएगा और जुमार्नेसेभी दंडनीय होगा ।
Dhara 354ग
दृश् यरितकता—ऐसा कोई पुरुष, जो कोई िकसी पर्ाइवेट कृत् य मᱶ लगी िकसी स् तर्ी को, जो उन पिरिस्थितयᲂ मᱶ, िजनमᱶवह यह पर्त्याशा करती हैिक उसेदेखा नहᱭ जा रहा ह, ै एकटक देखेगा या उस कृत् य मᱶ िलप् त व् यिक् त या उस कृत् य मᱶ िलप् त व् यिक् त के कहने पर कोई अन् य व् यिक् त उसका िचतर् खᱭचेगा अथवा उस िचतर् को पर्सािरत करेगा, पर्थम दोषिसि पर दोनᲂ मᱶसेिकसी भांित केकारावास से, िजसकी अविध एक वषर्सेकम की नहᱭ होगी िकतुजो तीन वषर्तक की हो सकेगी, दंिडत िकया जाएगा और जुमार्नेसेभी दंडनीय होगा और ि᳇तीय अथवा पश् चातवतᱮ ् िकसी दोषिसि पर दोनᲂ मᱶसेिकसी भांित केकारावास से, िजसकी अविध तीन वषर्सेकम की नहᱭ होगी िकतुजो सात वषर्तक की हो सकेगी, दंिडत िकया जाएगा और जुमार्नेसेभी दंडनीय होगा । स्पष् टीकरण 1—इस धारा केपर्योजनᲂ केिलए, “पर्ाइवेट कृत्य” केअंतगर्त ताकने का ऐसा कोई कृत् य आता है जो ऐसे िकसी स् थान मᱶ िकया जाता ह, ैिजसकेसंबंध मᱶ, पिरिस्थितयᲂ केअधीन, युिक् तयुक् त रूप सेयह पर्त्याशा की जाती हैिक वहांएकांतता होगी और जहां िक पीिड़ता केजननांगᲂ, िनतंबᲂ या वक्षस्थलᲂ को अिभदिशत िकया जाता हैया केवल अधोवस् तर् सेढंका जाता हैअथवा जहां पीिड़ता िकसी शौचघर का पर्योग कर रही ह ;ै या जहां पीिड़ता ऐसा कोई लᱹिगक कृत्य कर रही हैजो ऐसेपर्कार का नहᱭ हैजो साधारणतया सावर्जिनक तौर पर िकया जाता है। 1 2013 के अिधिनयम सं० 13 की धारा 6 ᳇ारा पर्ितस् थािपत । 2 2013 के अिधिनयम सं० 13 की धारा 7 ᳇ारा अंत:स् थािपत । 67 स्पष् टीकरण 2—जहां पीिड़ता िचतर्ᲂ या िकसी अिभनय केिचतर् को खᱭचनेकेिलए सम्मित देती हैिकन्तुअन्य ᳞िक् तयᲂ को उन्हᱶ पर्सािरत करनेकी सम्मित नहᱭ देती हैऔर जहां उस िचतर् या कृत्य का पर्सारण िकया जाता हैवहां ऐसेपर्सारण को इस धारा केअधीन अपराध माना जाएगा ।
Dhara 354घ
पीछा करना—(1) ऐसा कोई पुरुष, जो— (i) िकसी स् तर्ी का उससे᳞िक् तगत अन्योन्यिकर्या को आगेबढ़ानेकेिलए, उस स् तर्ी ᳇ारा स्पष् ट रूप सेअिनच्छा उपदिशत िकए जानेकेबावजूद, बारंबार पीछा करता हैऔर संस् पशर्करता हैया संस् पशर्करनेका पर्यत् न करता है ; या (ii) जो कोई िकसी स् तर्ी ᳇ारा इंटरनेट, ई-मेल या िकसी अन्य पर्रूप की इलैक्टर्ािनक संसूचना का पर्योग िकए जानेको मानीटर करता है, पीछा करनेका अपराध करता है : परंतुऐसा आचरण पीछा करनेकी कोिट मᱶनहᱭ आएगा, यिद वह पुरुष, जो ऐसा करता है, यह सािबत कर देता हैिक— (i) ऐसा कायर्अपराध केिनवारण या पता लगानेकेपर्योजन केिलए िकया गया था और पीछा करनेकेअिभयुक् त पुरुष को राज्य ᳇ारा उस अपराध केिनवारण और पता लगानेका उᱫरदाियत्व सᲅपा गया था ; या (ii) ऐसा िकसी िविध केअधीन या िकसी िविध केअधीन िकसी ᳞िक् त ᳇ारा अिधरोिपत िकसी शतर्या अपेक्षा का पालन करनेकेिलए िकया गया था ; या (iii) िविशष् ट पिरिस्थितयᲂ मᱶऐसा आचरण युिक् तयुक् त और न्यायोिचत था । (2) जो कोई पीछा करनेका अपराध करेगा, वह पर्थम दोषिसि पर दोनᲂ मᱶसेिकसी भांित केकारावास से, िजसकी अविध तीन वषर्तक की हो सकेगी, दंिडत िकया जाएगा और जुमार्नेसेभी दंडनीय होगा ; और िकसी ि᳇तीय या पश् चात् वतᱮ दोषिसि पर िकसी भी भांित के कारावास से, िजसकी अविध पांच वषर् तक की हो सकेगी, दिडत िकया जाएगा और ज ं ुमार्ने से भी दडनीय होगा ं ।]
354 IPC, Section 354 IPC – Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty
Section 354
Assault or criminal force to woman with intent to outrage her modesty.—Whoever assaults or uses criminal force to any woman, intending to outrage or knowing it to be likely that he will there by outrage her modesty, 1[shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year but which may extend to five years, and shall also be liable to fine
Section 354A – Sexual harassment and punishment for sexual harassment
(1) Aman committing any of the following acts— (i) physical contact and advances involving unwelcome and explicit sexual overtures; or (ii) a demand or request for sexual favours; or (iii) showing pornography against the will of a woman; or (iv) making sexually coloured remarks, shall be guilty of the offence of sexual harassment. (2) Any man who commits the offence specified in clause (i) or clause (ii) or clause (iii) of sub-section (1) shall be punished with rigorous imprisonment for a term which may extend to three years, or with fine, or with both. (3) Any man who commits the offence specified in clause (iv) of sub-section (1) shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to one year, or with fine, or with both.
Section 354B – Assault or use of criminal force to woman with intent to disrobe
Any man who assaults or uses criminal force to any woman or abets such act with the intention of disrobing or compelling her to be naked, shall be punished with imprisonment of either description for a term which shall not be less than three years but which may extend to seven years, and shall also be liable to fine.
Section 354C – Voyeurism
Voyeurism.—Any man who watches, or captures the image of a woman engaging in a private act in circumstances where she would usually have the expectation of not being observed either by the perpetrator or by any other person at the behest of the perpetrator or disseminates such image shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which shall not be less than one year, but which may extend to three years, and shall also be liable to fine, and be punished on a second or subsequent conviction, with imprisonment of either description for a term which shall not be less than three years, but which may extend to seven years, and shall also be liable to fine. Explanation 1.—For the purpose of this section, “private act” includes an act of watching carried out in a place which, in the circumstances, would reasonably be expected to provide privacy and where the victim’s genitals, posterior or breasts are exposed or covered only in underwear; or the victim is using a lavatory; or the victim is doing a sexual act that is not of a kind ordinarily done in public. 1. Subs. by Act 13 of 2013, s. 6, for “shall be punished with imprisonment of either description for a term which may extend to two years, or with fine, or with both” (w.e.f. 3-2-2013). 2. Ins. by s. 7, ibid. (w.e.f. 3-2-2013).80 Explanation 2.—Where the victim consents to the capture of the images or any act, but not to their dissemination to third persons and where such image or act is disseminated, such dissemination shall be considered an offence under this section.
Section 354D – Stalking
(1) Any man who— (i) follows a woman and contacts, or attempts to contact such woman to foster personal interaction repeatedly despite a clear indication of disinterest by such woman; or (ii) monitors the use by a woman of the internet, email or any other form of electronic communication, commits the offence of stalking: Provided that such conduct shall not amount to stalking if the man who pursued it proves that— (i) it was pursued for the purpose of preventing or detecting crime and the man accused of stalking had been entrusted with the responsibility of prevention and detection of crime by the State; or (ii) it was pursued under any law or to comply with any condition or requirement imposed by any person under any law; or (iii) in the particular circumstances such conduct was reasonable and justified. (2) Whoever commits the offence of stalking shall be punished on first conviction with imprisonment of either description for a term which may extend to three years, and shall also be liable to fine; and be punished on a second or subsequent conviction, with imprisonment of either description for a term which may extend to five years, and shall also be liable to fine.]